पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा मंगलवार को एक बार फिर दहशतगर्दी की चपेट में आ गई। यहां एक राजनीतिक रैली के दौरान हुए भीषण बम विस्फोट में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। घायलों में कई की हालत गंभीर है, जिन्हें नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
भीड़भाड़ वाले इलाके में धमाका
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, धमाका उस समय हुआ जब बड़ी संख्या में लोग रैली में शामिल होने के लिए एक मैदान में जुटे थे। अचानक तेज आवाज के साथ विस्फोट हुआ और मौके पर अफरा-तफरी मच गई। चारों तरफ धुआं फैल गया और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि धमाका बेहद शक्तिशाली था, जिससे आसपास खड़ी गाड़ियां और दुकानें भी क्षतिग्रस्त हो गईं।
सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर
धमाके के तुरंत बाद सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया और रैली स्थल को खाली कराया। बम निरोधक दस्ता घटनास्थल पर पहुंच चुका है और जांच कर रहा है कि धमाके में किस प्रकार के विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ। अभी तक किसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि यह घटना चरमपंथी समूहों की ओर से अंजाम दी गई हो सकती है।
अस्पतालों में आपातकाल
क्वेटा के सिविल अस्पताल और मिलिट्री अस्पताल में आपातकाल घोषित कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कई घायलों की हालत गंभीर है, इसलिए मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है। डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को छुट्टियां रद्द कर तुरंत ड्यूटी पर बुलाया गया है।
बलूचिस्तान: आतंकवाद की जड़
बलूचिस्तान लंबे समय से आतंकी घटनाओं और अलगाववादी गतिविधियों का गढ़ माना जाता है। यहां पाकिस्तान सेना, पुलिस और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने की घटनाएं आम रही हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह धमाका पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा और खुफिया तंत्र की नाकामी को उजागर करता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
घटना के बाद पड़ोसी देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने हमले की निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र ने इसे निर्दोष नागरिकों पर हमला बताते हुए गहरी चिंता व्यक्त की है। भारत सहित कई देशों ने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई है और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की है।
राजनीतिक हलचल
धमाके ने पाकिस्तान की राजनीति में भी हलचल पैदा कर दी है। विपक्षी दलों ने सरकार से सवाल किया है कि आखिर क्यों सुरक्षा खामियों को दूर नहीं किया गया। वहीं प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए दोषियों को जल्द पकड़ने का आश्वासन दिया है।
क्वेटा का यह धमाका पाकिस्तान में असुरक्षा और अस्थिरता की पुरानी समस्या को फिर सामने ले आया है। लगातार बढ़ती आतंकी घटनाएं न सिर्फ आम नागरिकों की जान ले रही हैं, बल्कि देश की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति पर भी गहरा असर डाल रही हैं। सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान इन चुनौतियों से उबरकर नागरिकों को सुरक्षित माहौल दे पाएगा या नहीं।