पंजाब इस समय पिछले 37 वर्षों की सबसे भयंकर बाढ़ से जूझ रहा है। राज्य के कई जिलों में नदियां उफान पर हैं और गांव जलमग्न हो चुके हैं। प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 2.56 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
नदियों का उफान और तबाही
सतलुज, ब्यास और घग्गर नदी का जलस्तर खतरे से ऊपर पहुंच गया है। तेज धाराओं ने कई जगह बांध और तटबंध तोड़ दिए, जिससे निचले इलाके पूरी तरह डूब गए। फसलें बर्बाद हो रही हैं, सड़कें टूट गई हैं और हजारों घरों में पानी भर गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार की बारिश सामान्य से कहीं अधिक रही, जिसने आपदा को और गहरा कर दिया।
प्रभावित जिले
सबसे ज्यादा नुकसान लुधियाना, जालंधर, फिरोजपुर, फाजिल्का और पटियाला में दर्ज किया गया है। यहां कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है। राहत व बचाव दल नावों और अस्थायी पुलों के सहारे फंसे लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।
बचाव और राहत अभियान
राज्य सरकार ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 30 से अधिक टीमें तैनात की हैं। अब तक हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। प्रभावित परिवारों के लिए राहत शिविर बनाए गए हैं, जहां भोजन, पानी और दवाइयों की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से विशेष पैकेज की मांग की है और सेना की मदद भी ली जा रही है।
किसानों की चिंता
बाढ़ ने धान और कपास जैसी मुख्य फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। किसान संगठनों का कहना है कि नुकसान का आकलन अभी और बढ़ सकता है। सरकार ने किसानों के लिए विशेष मुआवजे और बीमा दावों की प्रक्रिया तेज करने का आश्वासन दिया है।
मौसम विभाग का अलर्ट
भारतीय मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले कुछ दिनों में और बारिश हो सकती है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। लोगों से अपील की गई है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
37 साल बाद आई इस भीषण बाढ़ ने पंजाब की जीवनरेखा को झकझोर दिया है। जान-माल का भारी नुकसान, बर्बाद होती फसलें और विस्थापित परिवार राज्य के सामने बड़ी चुनौती हैं। प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा है, लेकिन हालात सामान्य होने में समय लगना तय है।