यूक्रेन युद्ध और रूस की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच यूरोप ने अपनी सुरक्षा रणनीति में बड़ा कदम उठाया है। यूरोपीय संघ (EU) और नाटो देशों ने मिलकर ‘आयरन बाउंड्री’ प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसका उद्देश्य पूर्वी यूरोपीय देशों की सीमाओं पर मजबूत सुरक्षा अवरोधक तैयार करना है। सवाल यह है कि क्या यह कदम रूस के बढ़ते खतरे को रोकने में कारगर साबित होगा?
क्या है आयरन बाउंड्री?
‘आयरन बाउंड्री’ दरअसल एक बहुस्तरीय सुरक्षा तंत्र है, जिसमें ऊंची स्टील फेंसिंग, इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस सिस्टम, ड्रोन मॉनिटरिंग, और आधुनिक सेंसर तकनीक शामिल है। इसका मुख्य उद्देश्य रूस की ओर से संभावित घुसपैठ, हाइब्रिड हमलों और अप्रत्याशित सैन्य गतिविधियों को रोकना है। यह प्रोजेक्ट खासतौर पर बाल्टिक देशों, पोलैंड और फिनलैंड जैसे क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है, जहां रूस के साथ साझा सीमा यूरोप के लिए सबसे बड़ा खतरा मानी जाती है।
क्यों उठाया गया यह कदम?
फरवरी 2022 में शुरू हुए यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस ने पश्चिमी देशों के खिलाफ आक्रामक बयानबाजी और सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया है। हाल के महीनों में रूस की सीमा पर मिसाइल तैनाती, साइबर हमले और हाइब्रिड वॉरफेयर के प्रयासों ने यूरोप की चिंता बढ़ा दी है। यूरोपीय नेताओं का कहना है कि यह कदम न केवल रक्षा तैयारियों को मजबूत करेगा, बल्कि रूसी प्रभाव को सीमित करने में भी मदद करेगा।
कितना प्रभावी होगा यह सुरक्षा घेरा?
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम मनोवैज्ञानिक और सामरिक दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण है। इससे रूस को स्पष्ट संदेश जाएगा कि यूरोप किसी भी आक्रामकता का जवाब देने के लिए तैयार है। हालांकि, आलोचक इसे सीमित प्रभाव वाला उपाय मानते हैं। उनका कहना है कि आधुनिक युद्ध केवल फिजिकल बॉर्डर पर नहीं लड़ा जाता, बल्कि साइबर अटैक, मिसाइल स्ट्राइक और ड्रोन्स से पारंपरिक सुरक्षा दीवारें बेअसर हो सकती हैं।
लागत और चुनौतियां
‘आयरन बाउंड्री’ प्रोजेक्ट पर अरबों यूरो खर्च होने का अनुमान है। आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे कुछ यूरोपीय देशों के लिए यह बड़ा बोझ बन सकता है। साथ ही, इस सुरक्षा रेखा को लंबे समय तक मेंटेन करना भी एक बड़ी चुनौती है।
रूस की प्रतिक्रिया
रूस ने इस प्रोजेक्ट को “यूरोप की सैन्यीकरण नीति का हिस्सा” बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई है। मॉस्को का कहना है कि ऐसे कदम तनाव को और बढ़ाएंगे, जिससे संवाद और शांति की संभावना खत्म हो जाएगी।
‘आयरन बाउंड्री’ यूरोप की सुरक्षा नीति में एक बड़ा बदलाव है, लेकिन क्या यह रूस के रणनीतिक कदमों को रोक पाएगा, यह आने वाला समय ही बताएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल सिर्फ एक सुरक्षात्मक उपाय है, जबकि वास्तविक चुनौती साइबर हमलों और हाइब्रिड युद्ध रणनीतियों से निपटने की होगी।