अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए भारी टैरिफ को लेकर देश में आर्थिक चिंता गहराती जा रही है। इसी बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर ने केंद्र सरकार को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर अब भी कदम नहीं उठाए गए तो भारत की अर्थव्यवस्था को गहरे झटके झेलने पड़ सकते हैं।
पूर्व गवर्नर की चेतावनी
पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा कि "सरकार को अब जागना होगा और दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी।" उनका मानना है कि केवल तात्कालिक उपायों से समस्या हल नहीं होगी, बल्कि निर्यात ढांचे में सुधार, व्यापार विविधीकरण और घरेलू उद्योगों को मजबूत करना ज़रूरी है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत को वैश्विक साझेदारियों को नए सिरे से देखना चाहिए।
टैरिफ का असर
ट्रंप प्रशासन के टैरिफ फैसले से भारतीय टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग गुड्स, दवा उद्योग और आईटी सर्विसेज पर सीधा असर पड़ा है। अनुमान है कि निर्यात में 20–25 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज हो सकती है। खासकर भदोही और मुरादाबाद जैसे पारंपरिक उद्योग केंद्रों पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। लाखों लोगों की नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है।
सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि वह इस मुद्दे को कूटनीतिक स्तर पर अमेरिका के साथ उठा रही है। इसके साथ ही निर्यातकों को राहत पैकेज और नए बाज़ार खोजने की रणनीति पर भी काम हो रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं।
अर्थशास्त्रियों की राय
आर्थिक जानकार मानते हैं कि भारत को इस चुनौती को अवसर में बदलने की ज़रूरत है। यदि सरकार वैकल्पिक बाज़ारों पर ध्यान देती है और घरेलू मांग को बढ़ावा देती है तो नुकसान को कम किया जा सकता है। लेकिन अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो जीडीपी वृद्धि दर पर सीधा असर पड़ सकता है।
ट्रंप टैरिफ से उपजे संकट ने भारत की आर्थिक नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्व आरबीआई गवर्नर की चेतावनी एक सख्त संदेश है कि केवल बयानों से काम नहीं चलेगा। अब देखना होगा कि सरकार किस तरह इस चुनौती का सामना करती है और क्या वास्तव में समय रहते ठोस कदम उठाए जाते हैं।