उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश ने कहर बरपा दिया। प्रदेश के तीन जिलों—टिहरी, रुद्रप्रयाग और चमोली—में बादल फटने की घटनाओं ने तबाही मचा दी। अब तक की जानकारी के अनुसार, इन हादसों में 8 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, बादल फटने के कारण तेज बारिश और भूस्खलन से कई गांवों का संपर्क कट गया है। कई घर बह गए हैं, जबकि सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त होने से यातायात भी प्रभावित हुआ है। प्रशासन ने राहत-बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को मौके पर तैनात किया है। हेलीकॉप्टरों के जरिए भी स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि तेज बारिश और अचानक आई बाढ़ ने रातों-रात गांवों का स्वरूप बदल दिया। कई जगह मलबा घरों और खेतों में भर गया है। लोग अपने परिजनों की तलाश में भटक रहे हैं। प्रशासन ने संवेदनशील इलाकों से सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।
इस प्राकृतिक आपदा में बच्चों और महिलाओं समेत कई लोग घायल हुए हैं। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है और घायलों के मुफ्त इलाज की व्यवस्था की है।
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में लगातार बढ़ती चरम मौसम की घटनाएं जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत हैं। अनियंत्रित निर्माण, वनों की कटाई और नदियों के किनारे बसते गांव इन आपदाओं के प्रभाव को और अधिक बढ़ा देते हैं। पिछले कुछ वर्षों में बादल फटने की घटनाओं में तेजी आई है, जिससे जन-धन की भारी हानि हो रही है।
मुख्यमंत्री ने प्रभावित जिलों का दौरा करने की घोषणा की है और अधिकारियों को राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों से बचें और सुरक्षित स्थानों पर बने रहें।
फिलहाल, आपदा प्रभावित इलाकों में बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है और लापता लोगों की तलाश के लिए टीमें लगातार खोजबीन कर रही हैं।