उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हालिया हिंसा के बाद गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। इस रिपोर्ट ने जिले के सांप्रदायिक इतिहास और लगातार होने वाले टकरावों की गहराई को उजागर किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, आज़ादी के बाद से अब तक संभल जिले में सांप्रदायिक हिंसा की 15 बड़ी घटनाएं दर्ज की गईं। हर बार हिंसा के बाद प्रशासनिक सख्ती और शांति समझौतों के प्रयास हुए, लेकिन हालात दोबारा बिगड़ते रहे। इससे सामाजिक ताने-बाने पर गहरा असर पड़ा।
जांच में यह भी सामने आया कि बार-बार होने वाली हिंसा और असुरक्षा की वजह से बड़ी संख्या में हिंदू परिवारों ने संभल से पलायन किया। रिपोर्ट के मुताबिक, बीते तीन दशकों में कई मोहल्लों की जनसंख्या संरचना पूरी तरह बदल चुकी है। खाली घरों और बंजर पड़ी ज़मीनों ने पलायन के प्रमाण और स्पष्ट कर दिए हैं।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में जिले की आंतरिक सामाजिक संरचना का भी ज़िक्र किया है। खासकर तुर्क और पठान समुदायों के बीच दशकों से चली आ रही खींचतान को हिंसा भड़कने की एक बड़ी वजह बताया गया है। इस आपसी प्रतिद्वंद्विता ने न सिर्फ सामाजिक तनाव बढ़ाया बल्कि स्थानीय स्तर पर राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप को भी कठिन बना दिया।
जांच रिपोर्ट ने यह स्वीकार किया कि बार-बार होने वाली हिंसा में राजनीतिक हित भी जुड़े रहे हैं। कई बार नेताओं पर आरोप लगा कि उन्होंने वोट बैंक की राजनीति के लिए दोनों समुदायों के बीच खाई को और गहरा किया। रिपोर्ट ने ऐसी गतिविधियों पर कड़ी नज़र रखने की सिफारिश की है।
विशेषज्ञों का कहना है कि संभल की घटनाएं केवल एक जिले की समस्या नहीं बल्कि व्यापक सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों का प्रतीक हैं। अगर इन पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो यह मुद्दा आने वाले समय में और गंभीर रूप ले सकता है।
जांच समिति ने सुझाव दिया है कि जिले में सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करने के लिए शिक्षा, संवाद और संयुक्त सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाए। साथ ही, प्रशासन को हिंसा प्रभावित परिवारों का पुनर्वास करने और पलायन की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है।