रूस-यूक्रेन युद्ध में एक नया और खतरनाक मोड़ सामने आया। रूस ने एक घातक हमले में यूक्रेनी नौसेना के सबसे बड़े युद्धपोत को डुबो दिया। खास बात यह रही कि इस हमले में पहली बार समुद्री ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, जिसने युद्ध को एक नए तकनीकी मोर्चे पर पहुंचा दिया है।
रिपोर्टों के अनुसार, यह हमला काला सागर क्षेत्र में हुआ। रूस द्वारा संचालित उन्नत समुद्री ड्रोन ने युद्धपोत को निशाना बनाया और कुछ ही मिनटों में उसे अपाहिज कर दिया। ड्रोन में लगाए गए उच्च क्षमता वाले विस्फोटक सीधे जहाज़ के ढांचे से टकराए, जिसके बाद भारी धमाका हुआ और जहाज़ गहरे पानी में समा गया। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है।
यूक्रेनी रक्षा मंत्रालय ने इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि जहाज़ पर मौजूद कई सैनिक लापता हैं, जबकि कुछ को सुरक्षित बाहर निकाला गया। सरकार ने इसे रूस की ‘नई आक्रामक रणनीति’ करार दिया और पश्चिमी देशों से और अधिक सैन्य सहयोग की अपील की।
रूस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह कार्रवाई यूक्रेनी नौसैनिक ठिकानों पर हो रहे लगातार हमलों के जवाब में की गई। रूसी सेना ने दावा किया कि समुद्री ड्रोन तकनीक युद्ध को अधिक सटीक और प्रभावी बना रही है।
सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि समुद्री ड्रोन का इस्तेमाल युद्ध की दिशा बदल सकता है। अब तक ड्रोन का प्रयोग हवाई हमलों और निगरानी के लिए किया जाता रहा है, लेकिन समुद्र में इसका पहला सफल प्रयोग भविष्य के नौसैनिक युद्ध को पूरी तरह बदल सकता है। इस तकनीक से बड़े जहाज़ों और पनडुब्बियों पर सीधा खतरा मंडराने लगा है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है। नाटो और यूरोपीय संघ के सदस्य देशों ने कहा कि समुद्री ड्रोन के इस्तेमाल से संघर्ष और भी घातक हो सकता है और इसका असर वैश्विक समुद्री सुरक्षा पर पड़ेगा।
फिलहाल, रूस-यूक्रेन युद्ध एक बार फिर तकनीकी हथियारों की होड़ में प्रवेश कर चुका है, जहां समुद्री ड्रोन आने वाले समय में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।