भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां भारत की कर प्रणाली लंबे समय तक जटिलता, बहु-स्तरीय करों और असमान बोझ की समस्याओं से जूझती रही। 2017 में वस्तु एवं सेवा कर का आगमन इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम था, जिसने केंद्र और राज्यों के कर ढांचे को एकीकृत कर एकरूपता की राह खोली। अब, जब देश की अर्थव्यवस्था नई चुनौतियों और अवसरों के दौर से गुजर रही है, "नेक्स्ट जेनरेशन जी एस टी सुधार" या कहें जी एस टी 2.0 को लागू करने की जरूरत महसूस हो रही है। यह सुधार न केवल कर प्रणाली को और अधिक सरल बनाने का प्रयास है, बल्कि इसे न्यायपूर्ण, पारदर्शी और भविष्य उन्मुख स्वरूप देने की दिशा में भी एक साहसिक पहल है। जी एस टी सुधारों का सबसे बड़ा लक्ष्य नागरिकों और कारोबारियों पर कर के बोझ को कम करना है। वर्तमान ढांचे में कई बार छोटे व्यवसायी, किसान या मध्यमवर्गीय परिवार अप्रत्यक्ष करों की अधिकता से प्रभावित हो जाते हैं। नए सुधारों में कर दरों को अधिक तार्किक और संतुलित बनाने पर जोर है, ताकि आम उपभोक्ता को राहत मिले और कारोबारी वर्ग को अतिरिक्त बोझ न उठाना पड़े। इसके साथ ही, रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म, इनपुट टैक्स क्रेडिट और अनुपालन से जुड़े नियमों को और अधिक आसान बनाने का प्रस्ताव है। इससे खासतौर पर एम एस एम ई क्षेत्र को राहत मिलेगी, क्योंकि यही क्षेत्र सबसे अधिक कागजी कार्यवाही और नकदी प्रवाह की कठिनाइयों से जूझता है। भारतीय अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार कृषि है। अब तक कर सुधारों में किसानों को अप्रत्यक्ष लाभ मिलता रहा है, लेकिन जी एस टी 2.0 किसानों को सीधे तौर पर फायदा पहुंचाने की कोशिश करता है। कृषि उपकरणों, बीज, उर्वरकों और सिंचाई से जुड़े सामानों पर कर दरों को और कम करने की दिशा में पहल की जा रही है। इससे उत्पादन लागत कम होगी और किसानों की आय में सीधा इज़ाफा होगा। इसके अलावा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए कर भुगतान और बिलिंग सिस्टम को सरल बनाने की योजना भी शामिल है। यह न केवल पारदर्शिता को बढ़ाएगा, बल्कि छोटे स्तर पर काम कर रहे किसानों और कारोबारियों को भी मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था से जोड़ देगा। एम एस एम ई यानी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। नेक्स्ट जेनरेशन जी एस टी सुधारों में इस क्षेत्र के लिए विशेष प्रावधान किए जा रहे हैं। कर दरों में राहत, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की सरलता और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर एम एस एम ई के लिए सहज अनुपालन व्यवस्था इन सुधारों का हिस्सा हैं। महिला उद्यमियों के लिए भी जी एस टी 2.0 अवसरों का नया द्वार खोलता है। छोटे पैमाने पर कारोबार करने वाली महिलाएं कर अनुपालन की जटिलताओं से बच सकेंगी और उन्हें डिजिटल माध्यम से कर भुगतान और रजिस्ट्रेशन में विशेष छूट मिलेगी। इससे आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम उठेगा। युवाओं के लिए स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार को प्रमुखता दी गई है। स्टार्टअप्स को शुरुआती वर्षों में टैक्स छूट और सरलीकृत इनवॉइसिंग व्यवस्था के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जाएगा। यह न केवल नवाचार को बढ़ावा देगा, बल्कि रोजगार सृजन की दिशा में भी सकारात्मक परिणाम देगा। भारतीय समाज में मध्यमवर्ग हमेशा से कर सुधारों का प्रमुख हितधारक रहा है। नेक्स्ट जेनरेशन जी एस टी सुधार उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं पर कर दरों को कम कर मध्यमवर्गीय परिवारों को प्रत्यक्ष राहत प्रदान करने की योजना लेकर आए हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और दैनिक उपभोग से जुड़ी सेवाओं पर कर छूट बढ़ाना इसका अहम हिस्सा है। इन सुधारों का उद्देश्य केवल करदाताओं को राहत देना ही नहीं है, बल्कि राजस्व संग्रहण को स्थिर और टिकाऊ बनाना भी है। एक सरल और पारदर्शी कर व्यवस्था न केवल कर चोरी की संभावनाओं को कम करेगी, बल्कि सरकार के लिए स्थायी राजस्व का स्रोत भी बनेगी। डिजिटल ट्रैकिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मॉनिटरिंग और ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर प्रणाली को और अधिक विश्वसनीय और पारदर्शी बनाने की योजना है। आज भारत वैश्विक व्यापार और निवेश का अहम केंद्र बन रहा है। ऐसे में, कर प्रणाली का अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होना आवश्यक है। जी एस टी 2.0 भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता की नई ऊंचाई पर ले जा सकता है। विदेशी निवेशकों के लिए सरल और पारदर्शी कर ढांचा आकर्षण का केंद्र बनेगा, जिससे "मेक इन इंडिया" और "स्टार्टअप इंडिया" जैसी पहलों को भी गति मिलेगी। हालांकि नेक्स्ट जेनरेशन जी एस टी सुधारों की अवधारणा महत्वाकांक्षी है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। राज्यों और केंद्र के बीच राजस्व बंटवारे पर सहमति बनाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। साथ ही, डिजिटल अवसंरचना को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाना, छोटे कारोबारियों को डिजिटल साक्षरता प्रदान करना और कर प्रशासन को भ्रष्टाचारमुक्त बनाना भी जरूरी होगा। "नेक्स्ट जेनरेशन जी एस टी सुधार" केवल कर ढांचे में बदलाव का नाम नहीं है, बल्कि यह एक समावेशी और भविष्य उन्मुख आर्थिक दृष्टि का हिस्सा है। यह नागरिकों पर कर का बोझ कम करते हुए किसानों, एम एस एम ई, महिलाओं, युवाओं और मध्यमवर्गीय परिवारों को सशक्त बनाता है। इसके माध्यम से भारत न केवल आंतरिक राजकोषीय स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ेगा, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता की राह भी प्रशस्त करेगा। जी एस टी 2.0 को वास्तव में सफल बनाने के लिए इसे आम नागरिक के हितों से जोड़ना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना और तकनीकी नवाचार को अपनाना अनिवार्य होगा। तभी यह कहा जा सकेगा कि भारत ने एक सरल, न्यायपूर्ण और समावेशी कर ढांचे की मजबूत नींव रख दी है।