भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
भारत इस समय डिजिटल क्रांति के निर्णायक दौर से गुजर रहा है। जहां निजी टेलीकॉम कंपनियां 5जी सेवाओं का तेजी से विस्तार कर रही हैं और 6 जी की संभावनाओं पर शोध चल रहा है, वहीं लंबे समय से पिछड़ रही सरकारी दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड अब आखिरकार 4जी प्लेटफार्म पर कदम रख पाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा से इस सेवा का औपचारिक शुभारंभ करते हुए न केवल बीएसएनएल के भविष्य की राह खोलने का संदेश दिया बल्कि देशभर में 97,500 नए मोबाइल टावरों का उद्घाटन करके डिजिटल कनेक्टिविटी के नए युग की नींव भी रखी। बीएसएनएल की स्थिति पिछले एक दशक से टेलीकॉम बाजार में लगातार कमजोर होती जा रही थी। निजी कंपनियों के आक्रामक 4 जी और 5 जी विस्तार के बीच सरकारी कंपनी के पास केवल 3 जी सेवाओं का सहारा था। इससे ग्राहकों की संख्या तेजी से घटने लगी और बीएसएनएल ग्रामीण-शहरी प्रतिस्पर्धा में पिछड़ता चला गया। हालांकि, सरकार लगातार पुनर्जीवन पैकेजों और रणनीतिक निवेश के जरिए इस कंपनी को दोबारा खड़ा करने की कोशिश करती रही। अब 4 जी प्लेटफार्म पर पहुंचना बीएसएनएल के लिए उस इंतजार का अंत है जो करीब आठ साल से चल रहा था। प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम केवल तकनीकी उपलब्धि भर नहीं है, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक और सामाजिक संदेश भी निहित है। ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों से इस सेवा की शुरुआत करना बताता है कि सरकार डिजिटल भारत मिशन को संतुलित विकास के नजरिए से आगे बढ़ाना चाहती है। अब तक ज्यादातर नई तकनीकें महानगरों और औद्योगिक केंद्रों तक सीमित रहती थीं, लेकिन 4 जी की यह लॉन्चिंग ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में भी डिजिटल अवसरों का विस्तार करेगी। मोबाइल टावर किसी भी टेलीकॉम सेवा की रीढ़ होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एक साथ लगभग 97,500 टावरों का उद्घाटन इस बात का संकेत है कि सरकार देशभर में नेटवर्क की गहराई और गुणवत्ता पर जोर दे रही है। यह न केवल बीएसएनएल बल्कि अन्य सेवा प्रदाताओं के लिए भी सहायक सिद्ध होगा। कनेक्टिविटी बढ़ने से डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन शिक्षा, ई-हेल्थ और ई-गवर्नेंस की पहुंच अधिक व्यापक होगी। यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि जब दुनिया की प्रमुख टेक कंपनियां और देश 6 जी पर शोध कर रहे हैं और भारत की निजी कंपनियां 5 जी सेवाओं का प्रसार कर रही हैं, उसी समय बीएसएनएल अब जाकर 4 जी पर कदम रख रहा है। यह तकनीकी अंतराल भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं की चुनौतियों को उजागर करता है। लेकिन साथ ही यह भी दर्शाता है कि देर से ही सही, सरकार अपने स्वामित्व वाली दूरसंचार कंपनी को डिजिटल दौड़ से बाहर नहीं होने देना चाहती। बीएसएनएल की सबसे बड़ी ताकत उसकी ग्रामीण और सुदूर इलाकों में मौजूदगी है। जहां निजी कंपनियों का नेटवर्क कमजोर पड़ जाता है, वहां आज भी बीएसएनएल के टावर और सेवाएं सक्रिय हैं। 4 जी तकनीक के आने से ग्रामीण ग्राहकों को अब तेज इंटरनेट और बेहतर कॉलिंग सुविधाएं मिल सकेंगी। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र में डिजिटल समाधान सुलभ होंगे। भारत के टेलीकॉम सेक्टर में रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसे दिग्गज पहले से ही मजबूत स्थिति में हैं। बीएसएनएल का 4G पर आगमन इन कंपनियों के लिए सीधी चुनौती भले न बने, लेकिन यह उन उपभोक्ताओं को विकल्प जरूर देगा जो सरकारी सेवा प्रदाता पर भरोसा करना चाहते हैं। साथ ही, प्रतिस्पर्धा के चलते सेवा की गुणवत्ता और उपभोक्ता हितों में सुधार भी संभव है। बीएसएनएल के लिए 4 जी लॉन्च कोई अंतिम मंजिल नहीं है। कंपनी को अभी नेटवर्क विस्तार, डेटा स्पीड, ग्राहक सेवा और वित्तीय स्थिरता जैसी चुनौतियों से जूझना होगा। साथ ही, जिस दौर में दुनिया 5 जी का अनुभव कर रही है और 6 जी की ओर बढ़ रही है, उस समय 4 जी पर टिके रहना बीएसएनएल को सीमित दायरे में रख सकता है। इसलिए आने वाले समय में कंपनी को 5 जी अपग्रेड की ओर तेजी से बढ़ना ही होगा। बीएसएनएल के 4 जी प्रोजेक्ट में ‘मेक इन इंडिया’ का स्पष्ट प्रभाव देखने को मिलता है। अधिकांश उपकरण और तकनीकी ढांचा देश में ही विकसित किए गए हैं। इससे न केवल आत्मनिर्भर भारत अभियान को बल मिलेगा बल्कि स्थानीय उद्योगों और स्टार्टअप्स को भी प्रोत्साहन मिलेगा। नए टावरों की स्थापना और नेटवर्क प्रबंधन से हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। बीएसएनएल का 4 जी प्लेटफार्म पर आगमन ‘डिजिटल इंडिया’ के उस विजन को भी आगे बढ़ाता है जिसमें हर नागरिक को सस्ती और भरोसेमंद इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। चाहे ई-गवर्नेंस योजनाएं हों या ऑनलाइन शिक्षा, हर क्षेत्र में मजबूत डिजिटल नेटवर्क की भूमिका अनिवार्य है। इस दृष्टि से यह लॉन्चिंग भारत के डिजिटल लोकतंत्र को नई गति देने वाला कदम है। बीएसएनएल का 4 जी पर आगमन भले ही देर से हुआ हो, लेकिन यह भारत के डिजिटल भविष्य के लिए एक अहम मील का पत्थर है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ओडिशा से इस सेवा की शुरुआत करना एक प्रतीकात्मक और व्यावहारिक कदम दोनों है, जो यह दर्शाता है कि देश का विकास केवल महानगरों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि दूरदराज़ के गांवों तक पहुंचेगा। 6 जी की चर्चाओं और 5 जी की तेज रफ्तार के बीच बीएसएनएल की यह 4 जी यात्रा याद दिलाती है कि डिजिटल समावेशिता तभी संभव होगी जब हर नागरिक, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में रहता हो, कनेक्टिविटी की मुख्यधारा से जुड़ा हो।