भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
दिवाली से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों को एक ऐतिहासिक तोहफा दिया है। दिल्ली में आयोजित ‘कृषि प्रगति कार्यक्रम’ में उन्होंने लगभग ₹42,000 करोड़ की नई योजनाओं और परियोजनाओं का शुभारंभ किया। यह सिर्फ एक वित्तीय घोषणा नहीं, बल्कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम है। किसानों के लिए यह पैकेज ऐसे समय आया है जब जलवायु परिवर्तन, बढ़ती लागत और बाजार अस्थिरता के कारण खेती पर भारी दबाव बना हुआ है। मोदी सरकार की इस घोषणा के केंद्र में हैं दो प्रमुख योजनाएँ —प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना, दाल आत्मनिर्भरता मिशन। पहली योजना, यानी धन धान्य कृषि योजना, लगभग ₹24,000 करोड़ के निवेश से शुरू की जा रही है। इसका उद्देश्य कृषि उत्पादन में विविधता लाना, सिंचाई के आधुनिक साधन उपलब्ध कराना, फसल भंडारण सुविधाओं को मजबूत बनाना और छोटे किसानों को तकनीकी सहायता देना है। इस योजना के माध्यम से देशभर के 10 करोड़ से अधिक किसानों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलने की उम्मीद है। वहीं दूसरी बड़ी योजना, दाल आत्मनिर्भरता मिशन, में सरकार ने ₹11,440 करोड़ का बजट आवंटित किया है। भारत दाल उत्पादन में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है, लेकिन घरेलू मांग के मुकाबले उत्पादन अभी भी कम है। इस मिशन का लक्ष्य अगले तीन वर्षों में दालों के आयात को लगभग समाप्त कर देश को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाना है। इसके तहत उच्च गुणवत्ता वाले बीज, आधुनिक तकनीक और मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कृषि, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित ₹5,450 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन किया और ₹815 करोड़ की नई आधारशिला रखी। इनमें कोल्ड चेन संरचनाएँ, दूध प्रसंस्करण संयंत्र, मछली उत्पादन केंद्र और ग्रामीण भंडारण सुविधाएँ शामिल हैं। इन परियोजनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन होगा और किसानों को बाजार तक सीधी पहुँच मिलेगी। इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन को भी बढ़ावा मिलेगा। यह कदम मोदी सरकार की उस नीति का हिस्सा है जिसके तहत ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने पर जोर दिया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, पीएम कृषि सिंचाई योजना, और प्राकृतिक खेती जैसे कार्यक्रमों ने किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब इस नए पैकेज से उम्मीद है कि यह “डबल इनकम विज़न” की दिशा में ठोस प्रगति करेगा। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह धनराशि सही दिशा में खर्च की गई और छोटे किसानों तक सीधे पहुंची, तो इससे कृषि क्षेत्र में एक स्थायी परिवर्तन देखने को मिलेगा। सामाजिक दृष्टि से यह घोषणा किसानों में भरोसा जगाने वाली है। लंबे समय से किसान संगठनों का यह आरोप रहा है कि सरकारी सहायता का बड़ा हिस्सा बिचौलियों तक सीमित रह जाता है। इसलिए, इस बार सरकार ने डिजिटल भुगतान प्रणाली और सीधे लाभ हस्तांतरण के ज़रिए यह सुनिश्चित करने की योजना बनाई है कि हर पैसा किसान के खाते में पहुँचे। मोदी सरकार की यह पहल उसके लंबे समय से चल रहे कृषि सुधार एजेंडे का हिस्सा है। सरकार का लक्ष्य है कि भारतीय कृषि केवल “जीविका का साधन” नहीं, बल्कि “आर्थिक समृद्धि का इंजन” बने। इसी क्रम में 2020 की कृषि कानूनों के बाद अब सरकार अधिक व्यावहारिक और चरणबद्ध सुधारों पर ध्यान दे रही है। इस योजना में पारंपरिक खेती से हटकर आधुनिक, तकनीक आधारित और बाज़ार उन्मुख मॉडल को अपनाने पर बल दिया गया है। किसानों को ड्रोन तकनीक, मिट्टी की गुणवत्ता की डिजिटल मैपिंग, और स्मार्ट सिंचाई जैसी आधुनिक सुविधाओं से जोड़ने की तैयारी है। हालाँकि, इस महत्वाकांक्षी योजना के साथ कई चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं। भारत का कृषि क्षेत्र अत्यधिक विविध है, जहाँ भौगोलिक और सामाजिक असमानताएँ गहरी हैं। ऐसे में एक समान नीति हर जगह प्रभावी नहीं हो सकती। दूसरी बड़ी चुनौती है— योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन। यदि निगरानी व्यवस्था कमजोर रही या फंड वितरण में पारदर्शिता नहीं रही, तो यह पैकेज भी पूर्ववर्ती योजनाओं की तरह केवल कागज़ों तक सीमित रह सकता है। तीसरी चुनौती है जलवायु संकट और प्राकृतिक आपदाएँ। सूखा, बाढ़ और अनियमित वर्षा जैसे कारण किसानों की मेहनत को अक्सर नष्ट कर देते हैं। इसलिए कृषि नीति को मौसम आधारित जोखिम बीमा और सतत कृषि पद्धतियों के साथ जोड़ना अनिवार्य है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा कि “किसान केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि ऊर्जा और आत्मनिर्भर भारत के निर्माता हैं।” यह वक्तव्य मोदी सरकार के उस दृष्टिकोण को दर्शाता है जिसमें कृषि को केवल उत्पादन का नहीं, बल्कि नवाचार और तकनीकी सशक्तिकरण का क्षेत्र माना जा रहा है। सरकार अब कृषि स्टार्टअप्स, एग्री-टेक, और स्मार्ट वेयरहाउसिंग को भी बढ़ावा दे रही है ताकि कृषि को आधुनिक अर्थव्यवस्था से जोड़ा जा सके। इससे युवा किसानों को नई संभावनाएँ और रोजगार के अवसर मिलेंगे। कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री मोदी का यह ₹42,000 करोड़ का दिवाली पैकेज भारतीय कृषि के लिए एक ऐतिहासिक पहल है। यदि इसे पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से लागू किया गया, तो यह केवल किसानों की आमदनी ही नहीं बढ़ाएगा, बल्कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगा। यह पैकेज कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भरता, टिकाऊ विकास और तकनीकी सशक्तिकरण की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। यह दिवाली किसानों के लिए सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि नई संभावनाओं और आत्मविश्वास का प्रतीक बन सकती है — क्योंकि जब किसान सशक्त होगा, तभी भारत आत्मनिर्भर और समृद्ध बनेगा।