भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
दिवाली से पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। वित्त विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में बताया गया कि सरकार ने करीब 1.02 लाख करोड़ करोड़ रुपये का बोनस और महंगाई भत्ता जारी करने की मंजूरी दे दी है। यह निर्णय न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति को मज़बूत करेगा, बल्कि राज्य में उत्सव के माहौल को भी नई ऊर्जा देगा। यह कदम ऐसे समय पर आया है जब महंगाई और रोज़मर्रा के खर्च ने आम आदमी की जेब पर अतिरिक्त बोझ डाला है। योगी सरकार का यह निर्णय एक तरह से “दिवाली बोनस पैकेज” बन गया है, जिससे लगभग 20 लाख कर्मचारियों और 12 लाख पेंशनभोगियों को सीधा लाभ मिलेगा। राज्य सरकार की ओर से घोषित इस वित्तीय पैकेज में दो प्रमुख घोषणाएँ शामिल हैं— कर्मचारियों को बोनस का भुगतान, महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी। वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार, बोनस की राशि अक्टूबर महीने के वेतन के साथ कर्मचारियों के खातों में ट्रांसफर की जाएगी। वहीं महंगाई भत्ते में 4% की वृद्धि की गई है, जो जनवरी 2025 से प्रभावी होगी। इसका अर्थ है कि कर्मचारियों को पिछले महीनों का एरियर भी मिलेगा। योगी सरकार का यह बोनस पैकेज न केवल राज्य कर्मचारियों तक सीमित है, बल्कि शिक्षकों, स्थानीय निकायों के कर्मचारियों, निगमों, परिषदों और राज्य के अंशकालिक कर्मियों को भी इसका लाभ दिया जाएगा। इसके साथ ही, पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में समान बढ़ोतरी लागू की गई है। यह निर्णय “समान कार्य, समान लाभ” के सिद्धांत को आगे बढ़ाता है। इसके अलावा, आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी सेविका, ग्राम रोजगार सेवक और पंचायत सहायकों के लिए भी विशेष प्रोत्साहन राशि देने पर विचार चल रहा है। वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि जिन कर्मचारियों का वेतनमान 7वें वेतन आयोग के तहत है, उन्हें अधिकतम ₹7,000 तक का बोनस मिलेगा। वहीं जिनका वेतन 18,000 रुपये प्रति माह से कम है, उन्हें फुल बोनस का लाभ दिया जाएगा। राज्य सरकार के खजाने से इस योजना पर कुल 1,02,20,00,000 करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित है, जिसमें से अधिकांश राशि वित्त विभाग और कोषागार से स्वीकृत की जाएगी। यह राशि सीधी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांस्फर के माध्यम से कर्मचारियों के बैंक खातों में जमा होगी, जिससे पारदर्शिता और त्वरित भुगतान सुनिश्चित किया जा सके। हालांकि इतनी बड़ी राशि के वितरण से राज्य के वित्त पर कुछ दबाव पड़ेगा, लेकिन सरकार का तर्क है कि यह खर्च राज्य की उपभोक्ता मांग बढ़ाने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देने का काम करेगा। त्योहारी सीजन में कर्मचारियों के हाथों में अतिरिक्त नकदी आने से बाजार में खरीदारी बढ़ेगी। वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, मिठाई, ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में मांग में इज़ाफ़ा होने की संभावना है। इससे राज्य जीएसटी और राजस्व संग्रह में भी बढ़ोतरी होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “राज्य सरकार अपने कर्मचारियों के परिश्रम और योगदान को सम्मान देती है। यह बोनस और भत्ता केवल एक आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि उनके समर्पण का सम्मान है।” उन्होंने आगे कहा कि यह कदम “सबका साथ, सबका विकास” की भावना को सशक्त करेगा। साथ ही मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग को निर्देश दिए हैं कि सभी पात्र कर्मचारियों को समय पर बोनस की राशि दी जाए और किसी स्तर पर विलंब न हो। यदि पिछले वित्तीय वर्षों पर नज़र डालें तो यह अब तक का सबसे बड़ा दिवाली पैकेज माना जा रहा है। 2023 में जहां कुल बोनस और भत्ता मिलाकर 70,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, वहीं इस बार यह राशि 1,02,20,00,000 करोड़ तक पहुँच गई है। यह न केवल योगी सरकार की वित्तीय दृढ़ता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि राज्य में राजस्व संग्रह और कर प्रशासन में सुधार हुआ है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात बड़ी संख्या में कर्मचारी इस बोनस राशि से स्थानीय बाज़ारों में उपभोग बढ़ाएंगे। कृषि उपकरण, निर्माण सामग्री, वस्त्र और त्योहारों से जुड़ी चीज़ों की बिक्री में उछाल आने की संभावना है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सीधा बल मिलेगा और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार सृजन में भी मदद मिलेगी। योगी सरकार ने बोनस वितरण प्रक्रिया को पूर्णतः डिजिटल बनाया है। राज्य वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि प्रत्येक कर्मचारी का भुगतान पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम से सत्यापित बैंक खाते में ही किया जाएगा। इससे फर्जी दावों, दोहराव या भ्रष्टाचार की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी। साथ ही सभी जिलाधिकारियों को बोनस वितरण की समीक्षा रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।घोषणा के बाद से ही कर्मचारियों और उनके संगठनों में खुशी की लहर है। लखनऊ, वाराणसी, मेरठ और गोरखपुर जैसे ज़िलों में सरकारी दफ्तरों में मिठाई बांटी गई। राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष ने कहा, “योगी सरकार ने हमेशा कर्मचारियों के हित में निर्णय लिए हैं। यह दिवाली बोनस निश्चित रूप से उनके प्रति सरकार की संवेदनशीलता का प्रमाण है।” योगी आदित्यनाथ सरकार का यह दिवाली बोनस और भत्ता पैकेज केवल वित्तीय राहत नहीं, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता, कर्मचारियों के मनोबल और राज्य की विकास गति का प्रतीक है। जब महंगाई और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बीच कर्मचारी वर्ग पर दबाव बढ़ रहा था, तब यह निर्णय उनके लिए एक “उत्सव से पहले राहत की सौगात” बन गया है। यह कदम सरकार और कर्मचारियों के बीच विश्वास की डोर को और मजबूत करेगा तथा राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।