भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
त्योहारों का मौसम शुरू होते ही बाजारों में मिठाइयों और डेयरी उत्पादों की मांग बढ़ जाती है। ऐसे में उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए दुकानों पर सफेद और चमकदार पनीर के ढेर दिखते हैं। लेकिन अब यही "चमक" खतरे की घंटी बन गई है। खाद्य सुरक्षा विभाग की हालिया जांचों में खुलासा हुआ है कि कई जिलों में यूरिया, डिटर्जेंट और टिनोपल जैसे रसायनों की मदद से नकली पनीर तैयार किया जा रहा है, जो सेहत के लिए गंभीर खतरा है। अक्टूबर 2025 के पहले सप्ताह में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में मिलावटी पनीर बरामद किया गया। अधिकारियों के अनुसार, कुछ गोदामों में दूध का एक बूँद भी नहीं था—फिर भी पनीर के ब्लॉक तैयार किए जा रहे थे। यह पनीर यूरिया, वनस्पति तेल, स्टार्च, डिटर्जेंट पाउडर और टिनोपल मिलाकर तैयार किया जा रहा था। नोएडा, मेरठ, आगरा, लखनऊ और बरेली में छापों के दौरान कई टन नकली पनीर जब्त किया गया। वहीं, गोरखपुर और कानपुर में ऐसे कारखाने पकड़े गए जहाँ रातों-रात तैयार पनीर को पैक करके बाजार में भेजा जा रहा था। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि ये नकली डेयरी नेटवर्क खास तौर पर त्योहारों के सीजन में सक्रिय हो जाते हैं, क्योंकि इस दौरान मांग बढ़ने से दूध और असली पनीर की कीमतें ऊपर जाती हैं। इससे मुनाफाखोर तत्व नकली सामग्री से सस्ता पनीर बनाकर बाजार में उतार देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह नकली पनीर बनाने की प्रक्रिया बहुत सुनियोजित और वैज्ञानिक दिखने वाली होती है। इसमें असली दूध का इस्तेमाल न के बराबर होता है। पहला चरण: पानी में पाम ऑयल, हाइड्रोजनाइज्ड वेजिटेबल ऑयल या सस्ता डीजल ऑयल जैसे पदार्थ मिलाए जाते हैं। दूसरा चरण: यूरिया, स्टार्च, और कैल्शियम पाउडर डालकर मिश्रण को गाढ़ा किया जाता है ताकि वह दूध जैसा दिखे। तीसरा चरण: इस मिश्रण में डिटर्जेंट या सर्फेक्टेंट डालकर झाग और गाढ़ापन बनाया जाता है। चौथा चरण: टिनोपल या ब्लू (जो आमतौर पर कपड़ों को चमकाने के लिए इस्तेमाल होता है) मिलाकर पनीर को सफेद और आकर्षक बनाया जाता है। पाँचवाँ चरण: मिश्रण को ठंडे मोल्ड में डालकर जमाया जाता है और फिर उसे बाजार में असली पनीर बताकर बेचा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में प्रयोग होने वाले अधिकांश पदार्थ औद्योगिक हैं और मानव सेवन के लिए खतरनाक माने जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यूरिया और डिटर्जेंट जैसे रासायनिक तत्व शरीर में ज़हर की तरह काम करते हैं। यूरिया, जो सामान्यतः खेतों में उर्वरक के रूप में प्रयोग किया जाता है, शरीर के किडनी और लिवर पर अत्यधिक दबाव डालता है। टिनोपल एक ऑप्टिकल ब्राइटनर है जो खाने योग्य नहीं होता। इसका उपयोग कपड़े, पेपर और डिटर्जेंट उद्योग में किया जाता है। इसके सेवन से पेट दर्द, उल्टी, एलर्जी, त्वचा रोग, श्वसन संबंधी दिक्कतें और लंबे समय में कैंसर तक का खतरा बढ़ सकता है। लखनऊ स्थित एक गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. निखिल अग्रवाल के अनुसार, “नकली पनीर का नियमित सेवन शरीर में धीमे ज़हर की तरह काम करता है। यह बच्चों के विकास को प्रभावित कर सकता है, बुजुर्गों में लीवर और किडनी की कार्यक्षमता को कम कर सकता है और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से खतरनाक है।” खाद्य सुरक्षा विभाग ने राज्यों को निर्देश दिया है कि त्योहारों के दौरान दूध, मिठाई और पनीर की जांच तेज की जाए। नोएडा, लखनऊ, वाराणसी और कानपुर में संदिग्ध डेयरी इकाइयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। कुछ जिलों में 20 से अधिक फैक्ट्रियों को सील किया गया है और हजारों किलो मिलावटी पनीर नष्ट किया गया। साथ ही, अपराधियों पर “खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006” की धारा 59 और 63 के तहत कार्रवाई की जा रही है, जिसमें तीन साल तक की सजा और लाखों रुपये का जुर्माना हो सकता है। खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने बताया कि टीमों को रैंडम सैंपलिंग और मोबाइल टेस्टिंग वैन के ज़रिए जांच का आदेश दिया गया है। साथ ही, सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों को सावधान किया जा रहा है कि वे पनीर की असामान्य सफेदी या अजीब गंध को गंभीरता से लें। विशेषज्ञों ने कुछ आसान घरेलू तरीके बताए हैं जिनसे उपभोक्ता नकली पनीर की पहचान कर सकते हैं—पानी में गर्म करें: असली पनीर गर्म पानी में डालने पर मुलायम रहता है, जबकि नकली पनीर टूट जाता है या तैलीय झिल्ली छोड़ता है। गंध जांचें: असली पनीर में हल्की दूधिया गंध होती है। नकली पनीर में रासायनिक या साबुन जैसी गंध महसूस होती है। टेक्सचर जांचें: असली पनीर काटने पर हल्का ग्रेन्यूलर (दानेदार) होता है जबकि नकली पनीर रबर जैसा होता है। जलाने पर परीक्षण: नकली पनीर जलाने पर साबुन जैसी गंध आती है, क्योंकि उसमें फैट और डिटर्जेंट मिलाया गया होता है। सरकारी कार्रवाई के साथ-साथ जनता की सतर्कता भी जरूरी है। उपभोक्ता अगर संदिग्ध पनीर या डेयरी उत्पाद देखें तो तुरंत फूड सेफ्टी हेल्पलाइन (1800-11-2100) या स्थानीय विभाग को शिकायत दर्ज कराएं। नकली पनीर बेचने वालों के खिलाफ सामुदायिक निगरानी से भी इस पर रोक लगाई जा सकती है। खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, “मिलावट सिर्फ स्वास्थ्य नहीं, बल्कि नैतिक अपराध भी है।” इसका सीधा असर छोटे किसानों और असली डेयरी उत्पादकों की आमदनी पर पड़ता है। जब नकली उत्पाद सस्ते दामों पर बाजार में आते हैं, तो असली उत्पादक प्रतिस्पर्धा में पीछे रह जाते हैं। अंत में कह सकते हैं कि त्योहारी सीजन में मिलावटखोर सक्रिय हो जाते हैं, लेकिन यह समस्या मौसमी नहीं बल्कि प्रणालीगत है। ज़रूरत है कि दूध और डेयरी उत्पादों की सप्लाई चेन को डिजिटली ट्रैक किया जाए। सेहत की रक्षा के लिए हर घर को मिलावट के खिलाफ सजग रहना होगा।