Wednesday, October 29, 2025
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संपादकीय

Not one, but four heirs! A major change in bank accounts – property division will now be pre-determined!: एक नहीं, चार वारिस! बैंक खाते में बड़ा बदलाव — अब संपत्ति का बंटवारा पहले से तय होगा !

October 24, 2025 09:08 PM

 भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़  

1 नवंबर 2025 से देशभर के बैंक खाताधारकों के लिए एक बड़ा बदलाव लागू होने जा रहा है। भारतीय रिज़र्व बैंक और प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों ने अब ग्राहकों को अपने खाते में चार तक नामांकित व्यक्ति जोड़ने की अनुमति दी है। यह फैसला वित्तीय समावेशन और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है, ताकि खाता धारक की मृत्यु के बाद संपत्ति के बंटवारे में अनावश्यक विवाद और देरी से बचा जा सके। यह नया नियम न केवल बचत खाते बल्कि फिक्स्ड डिपॉज़िट, रिकरिंग डिपॉज़िट, पेंशन, डिमैट अकाउंट और म्यूचुअल फंड निवेशों पर भी लागू होगा। अब तक बैंक ग्राहकों को केवल एक ही नॉमिनी रखने की अनुमति थी, लेकिन कई मामलों में यह व्यवस्था विवाद का कारण बन जाती थी, खासकर तब जब परिवार बड़ा हो या कई वारिस हों। नए प्रावधान के तहत अब कोई भी खाताधारक अपने खाते या निवेश में चार नॉमिनी तक जोड़ सकता है। सबसे अहम बात यह है कि वह हर नॉमिनी को अलग-अलग हिस्सेदारी भी निर्धारित कर सकेगा। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी व्यक्ति ने 4 नॉमिनी जोड़े हैं, तो वह चाहें तो अपने खाते में रखी राशि का 40% एक व्यक्ति को, 30% दूसरे को, और बाकी 30% दो अन्य नॉमिनियों में बाँट सकता है। अगर खाता धारक यह हिस्सेदारी निर्धारित नहीं करता, तो बैंक समान अनुपात में (25%-25%) धन का वितरण करेगा। इस बदलाव से खाताधारकों को अपने वित्तीय उत्तराधिकार पर बेहतर नियंत्रण मिलेगा और परिवारों में संपत्ति को लेकर विवादों की संभावना कम होगी। आर बी आई ने इस बदलाव को लागू करने के लिए बैंकों को अपने कोर बैंकिंग सिस्टम को अपग्रेड करने के निर्देश दिए हैं। अब ग्राहक ऑनलाइन बैंकिंग पोर्टल, मोबाइल ऐप या शाखा में जाकर नॉमिनी जोड़ या संशोधित कर सकेंगे। नॉमिनी जोड़ने की प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल होगी। ग्राहक को केवल आधार नंबर, जन्म तिथि और नॉमिनी का के वाई सी विवरण देना होगा। इस व्यवस्था से ग्राहकों को अपने परिवार के सदस्यों के लिए संपत्ति का पारदर्शी रिकॉर्ड रखने में आसानी होगी। बैंक भी अब खातों की उत्तराधिकार प्रक्रिया को स्वचालित रूप से निपटाने में सक्षम होंगे, जिससे मृत्यु के बाद दावे की प्रक्रिया तेज होगी। आम आम जनता को इससे खासा लाभ होगा। जैसे परिवार में विवाद कम होंगे- जब खाताधारक कई नॉमिनी तय करेगा और हिस्सेदारी स्पष्ट करेगा, तो परिवार में संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद की संभावना घट जाएगी। संपत्ति का आसान ट्रांसफर: मृत्यु के बाद बैंक खाते या निवेश की राशि पाने के लिए अब उत्तराधिकारियों को लंबी कानूनी प्रक्रिया या कोर्ट के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वरिष्ठ नागरिकों को राहत: जिन वरिष्ठ नागरिकों के एक से अधिक बच्चे हैं, वे अब आसानी से अपनी जमा पूंजी का वितरण तय कर सकते हैं। महिलाओं के लिए सुरक्षा:
कई गृहिणियाँ या परिवार की महिलाएँ, जिनके नाम पर संयुक्त खाते नहीं होते, अब परिवार के वित्तीय लाभ में हिस्सेदार बन सकती हैं। डिजिटल प्रक्रिया से सुविधा: नॉमिनी जोड़ना, हटाना या बदलना अब कुछ ही क्लिक में संभव होगा — यह सुविधा बैंक शाखा में लंबी कतारों से बचाएगी। कुछ चुनौतियाँ भी संभावित हैं। हालांकि यह नियम आम जनता के लिए राहतकारी है, लेकिन कुछ संभावित जोखिम और चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं — डेटा एरर या तकनीकी गलती: ऑनलाइन नॉमिनी जोड़ते समय गलत विवरण भरने से भविष्य में दावे के दौरान समस्याएँ आ सकती हैं। फर्जीवाड़े की आशंका: यदि किसी व्यक्ति का डेटा या ओटीपी गलत हाथों में पड़ जाए, तो धोखाधड़ी की संभावना बनी रहती है। इसलिए बैंक सुरक्षा प्रोटोकॉल को और मजबूत कर रहे हैं। नॉमिनी और वारिस में अंतर का भ्रम: नॉमिनी संपत्ति का अंतिम मालिक नहीं होता; वह केवल राशि प्राप्त करने का हकदार होता है। संपत्ति का कानूनी हक फिर भी उत्तराधिकार कानूनों के अनुसार तय होगा। कई लोग इस अंतर को नहीं समझते, जिससे विवाद उत्पन्न होते हैं। बुजुर्गों की डिजिटल साक्षरता की कमी: ग्रामीण या वृद्ध उपभोक्ताओं को ऑनलाइन सिस्टम में नॉमिनी जोड़ने में कठिनाई आ सकती है। इसके लिए बैंकों को सहायता डेस्क और प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी। आर बी आई ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि वे 31 अक्टूबर तक अपने सिस्टम को इस नई नीति के अनुरूप अपडेट कर लें। इसके साथ ही, बैंकों को अपने ग्राहकों को एस एम एस, ईमेल और सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी जानकारी देने को कहा गया है। एस बी आई, एच डी एफ सी, आई सी आई सी आई, पी एन बी और एक्सिस बैंक जैसे बड़े बैंक पहले ही अपने मोबाइल ऐप और नेटबैंकिंग प्लेटफॉर्म पर ‘एड मल्टीपल नॉमिनी’ फीचर शुरू कर चुके हैं। वहीं ग्रामीण सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को भी चरणबद्ध तरीके से इस सिस्टम को लागू करने का निर्देश दिया गया है। कानूनी रूप से यह बदलाव बहुत अहम है। पहले एक नॉमिनी की स्थिति को लेकर कई बार सुप्रीम कोर्ट तक विवाद पहुंचे, क्योंकि एकल नॉमिनी की नियुक्ति से अन्य उत्तराधिकारियों को नुकसान होता था। अब चार नॉमिनी की व्यवस्था से पारिवारिक पारदर्शिता बढ़ेगी और बैंक के लिए दावे निपटाना आसान होगा। समाजशास्त्रीय दृष्टि से भी यह कदम परिवारों में आर्थिक समानता और उत्तरदायित्व की भावना को मजबूत करेगा। अंत में कह सकते हैं कि 1 नवंबर 2025 से लागू होने वाला यह नियम भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण सुधार है। इससे न केवल ग्राहक संतुष्टि बढ़ेगी, बल्कि बैंकिंग सेवाओं की विश्वसनीयता भी मजबूत होगी। हालांकि लोगों को यह समझना जरूरी है कि नॉमिनी बनाना और वसीयत तैयार करना — दोनों अलग चीज़ें हैं। अगर व्यक्ति अपनी संपत्ति को लेकर पूर्ण स्पष्टता चाहता है, तो उसे नॉमिनी नियुक्त करने के साथ-साथ एक विधिवत वसीयत भी तैयार करनी चाहिए। कुल मिलाकर, यह बदलाव भारतीय नागरिकों को आर्थिक सुरक्षा, पारिवारिक पारदर्शिता और डिजिटल सुविधा प्रदान करेगा। बैंकिंग सेक्टर में यह कदम “स्मार्ट, सुरक्षित और समावेशी भारत” की दिशा में एक और बड़ा कदम माना जा रहा है।

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