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संपादकीय

After FASTag, now KYC hassle: Fear of toll tags being discontinued creates panic among vehicle owners: फास्टैग केवैसी के बाद अब केवाईवी का झंझट: टोल टैग बंद होने के डर से वाहन मालिकों में हड़कंप

October 30, 2025 09:24 PM

 भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़  

वर्चुअल में डिजिटल टोल फॉर्मैटिकल सिस्टम फास्टैड फास्टैग को लेकर अब एक और बड़ा बदलाव आया है। केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) के बाद अब केवाईवी (अपने वाहन को जानें) नियम लागू हो गए हैं। इस नई प्रक्रिया ने ऑटोमोबाइल को बड़ी परेशानी में डाल दिया है। जिन लोगों ने पहले ही केवाईसी अपडेट करा लिया था, अब वे फिर से अपने वाहनों की जानकारी जमा करवा रही हैं। सोशल मीडिया पर लोग इस नए नियमों को लेकर नाराज़गी जगा रहे हैं और कह रहे हैं कि सरकार ने प्रक्रिया को "ज्यादा कॉम्प्लेक्स" बना दिया है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) और नेशनल हाईवे अथॉरिटी (एनएचएआई) ने हाल ही में फास्टैग सिस्टम को बनाने के लिए "वन टूल्स, वन फास्टैग" नीति के साथ केवाईवी प्रक्रिया को अनिवार्य किया है। इसका अर्थ यह है कि अब हर फास्टैग सिर्फ एक वाहन से यात्रा करेगा। एक ही टैग का इस्तेमाल कई सोसायटी में नहीं किया जा सकेगा। नए मानक के तहत वाहन चालकों को अपने फास्टैग के साथ वाहन का पंजीकरण नंबर (वीआरएन), चेसिस नंबर और वाहन की तस्वीरों के साथ लिंक करना जरूरी होगा। यह विज्ञापन विज्ञापन और फास्टैग जारी करने वाली शॉपिंग पोर्टल पर ऑनलाइन किया जा सकता है। यदि केवाईवी प्रक्रिया पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है तो टैग ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है, जिससे टोल प्लाजा पर भुगतान में सुविधा होगी और वाहन मालिकों को एक साथ भुगतान करना होगा। नए नियम लागू होने से वाहनों के बीच भ्रम और अशांति बढ़ गई है। कई लोगों को इसकी जानकारी देर से मिली, जबकि कुछ के टैग पुराने या निष्क्रिय हो गए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कंपनियों की बाढ़ आ गई है। मुख्य कारणों पर गौर करें तो पायेंगे कि 1. ट्रिपल प्रक्रिया: पहले केवाईसी सिस्टम, अब केवाईवी का नया झंझट। लोग कह रहे हैं, “हर बार यही जानकारी फिर से क्यों लोड होती है?” 2. तकनीकी समस्याएं: कई बाजार बताते हैं कि केवाईवी अपडेट के लिए टाइम बैंक पोर्टल या ऐप बार-बार डाउनलोड हो रहा है या तस्वीरें अपलोड नहीं हो रही हैं।3. समय की कमी: एन एच ए आई ने एक निश्चित समय सीमा निर्धारित की है। यदि निर्धारित तिथि तक केवाईवी पूरी तरह से नहीं हुआ है, तो फास्टैग रद्द हो जाएगा। 4. सूचना की कमी: बहुत से वाहनों को ईमेल या एसएमएस द्वारा कोई अधिसूचना नहीं दी गई, जिससे वे अंतिम समय में हदबड़ी में फंस गए। 5. टोल पर समस्या: टोल टैग अस्वीकृत हैं, उन्हें अब टोल प्लाजा पर लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है। ट्विटर (अब एक्स) और फेसबुक पर लोग अपना अनुभव साझा कर रहे हैं। एक चित्र ने लिखा, "पहले केवाईसी सिस्टम, अब केवाईवी में बदल गए हैं। पता नहीं आगे कौन-सा नया वेर सहेंगे।" “फास्टैग अब फास्ट नहीं रह रहा है, हर बार नए नियम और नए नियम आ रहे हैं।” कई लोगों का कहना है कि सरकार डिजिटल इंडिया के नाम पर इसे बनाने की प्रक्रिया को आसान बनाती है और पहचान कर रही है। हालाँकि विरोध और असंतोष के बावजूद इस नीति के पीछे सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है। • टैग मान्यता पर रोक: बहुत से वाहन मालिक एक ही फास्टैग का उपयोग कई दस्तावेजों में कर रहे थे। इससे टोल डेटा और राजस्व में गड़बड़ी होती थी।• फर्जी टैग रोकथाम: केवाईवी से वाहन और टैग की पहचान सुनिश्चित होगी।• समर्थन और सुरक्षा: अब सभी टैग जानकारी वाहन वाहनों से मिलाएगा, जिससे गलत लिंकिंग की संभावना घटेगी।• राजस्व का नियंत्रण: टोल चोरी, टैग स्वैपिंग और ब्लैक मार्केटिंग पर नियंत्रण।एनएचएआई के अनुसार, यह कदम भविष्य में 100% डिजिटल टोल की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। यदि आपने अभी तक के वाई वी प्रक्रिया पूरी नहीं की है, तो नीचे दिए गए चरणों का पालन करें: 1. अपने फास्टैग जारीकर्ता बैंक के पोर्टल या मोबाइल ऐप में लॉग-इन करें।2. "अपने वाहन को जानें" या "केवाईवी अपडेट" विकल्प चुनें।3. वाहन की आरसी कॉपी, चेसिस नंबर, और वाहन की स्पष्ट तस्वीरें (सामने और साइड व्यू) अपलोड करें।4. सबमिट करने के बाद पुष्टि का संदेश आने तक प्रतीक्षा करें।5. अपडेट पूरा होने पर ही ईमेल या एसएमएस द्वारा पुष्टि की जाती है कि आपका केवाईवी चार्ज हो गया है। यदि किसी कारण से टैग बहुत पुराना है (5 वर्ष से अधिक), तो बैंक नया फास्टैग जारी करने की सलाह दे रहे हैं।भले ही प्रक्रिया कठिन लग रही हो, लेकिन दीर्घकाल में इसके कई फायदे हैं: • हर वाहन की यूनिक पहचानेगी।• गलत टैग ट्रांसजेक्शन और डुप्लिकेट रिचार्जेबल सैटलाइट से गायब।• टोल संग्रह अधिक विस्तार और डिजिटल संयोजन।• सरकार को राजस्व और राजस्व डेटा अधिक रिक्त रूप से मिलेगा।इसके अलावा, केवाईवी से वाहन चोरी या टैग-मिसयूज की संभावना भी घटेगी क्योंकि हर टैग वाहन से स्थायी रूप से जुड़ेंगे। डिजिटल सुधार का उद्देश्य लोगों के जीवन को सरल बनाना है, लेकिन यदि प्रक्रिया भारी प्रौद्योगिकी या लंबी हो जाए, तो वही सुधार बन जाता है। फास्टैग-केवाईवी के साथ यही स्थिति दिख रही है।कई विशेषज्ञों का मत है कि सरकार को केवाईवी प्रक्रिया को ऑटो-सिंक करना चाहिए - यानी वाहन से वाहन विवरण अपने आप लिंक हो जाएं। इस उपयोगकर्ता को अपलोड करने या फ़ोटोग्राफ़र की आवश्यकता नहीं है।इसके अलावा, एक पंजीकृत "फ़ास्टैग हेल्प पोर्टल" बनाया गया जहां एक ही स्थान मिल सिल्वासा से संबंधित अद्यतन।फास्टैग केवैसी के बाद अब केवाईवी नियमों ने वाहन उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ा दी है। हालाँकि इसमें बदलावों की सुरक्षा और प्लाटों के आवेदन की आवश्यकता है, लेकिन आम जनता को इसके बारे में समय रहते स्पष्ट जानकारी की आवश्यकता थी।डिजिटल भारत तब सफल होगा जब नागरिकों को प्रक्रिया में आरामदायक और भरोसेमंद महसूस होगा, कोई अतिरिक्त भार नहीं। सरकार को चाहिए कि वह इस प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाए, ताकि देश के 8 करोड़ से अधिक फास्टैग उपयोगकर्ता बिना किसी बाधा के इस डिजिटल टोल प्रणाली का लाभ उठा सकें।

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