भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
भारत सरकार ने देश के लाखों कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए “कर्मचारी नामांकन योजना 2025” की घोषणा की है। यह स्कीम 1 नवंबर 2025 से लागू हो चुकी है और इसका उद्देश्य उन कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना है, जो अब तक किसी कारणवश कर्मचारी भविष्य निधि योजना से वंचित रहे थे। यह कदम संगठित और असंगठित दोनों ही क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के अनुसार, इस योजना का मुख्य लक्ष्य उन कर्मचारियों को पी एफ प्रणाली से जोड़ना है, जिन्होंने 1 जुलाई 2017 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच काम किया, लेकिन किसी वजह से उनका पी एफ खाता नहीं खोला गया।सरकार का विजन “सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा” है। इस योजना के माध्यम से ऐसे कर्मचारियों को दोबारा पी एफ प्रणाली में शामिल होने का मौका मिलेगा — वह भी बिना किसी पुरानी देनदारी, ब्याज या जुर्माने के। यह फैसला उस समय आया है जब देश में असंगठित क्षेत्र के करोड़ों श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा पर लगातार चर्चा चल रही है। सरकार चाहती है कि हर कामगार के पास भविष्य के लिए एक सुरक्षित आर्थिक आधार हो, और पी एफउसी सुरक्षा का मजबूत स्तंभ बने। इस योजना का लाभ वे कर्मचारी उठा सकते हैं जिन्होंने 1 जुलाई 2017 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच किसी नियोक्ता या संस्था के तहत काम किया हो, लेकिन पी एफ अंशदान का लाभ न मिला हो। वर्तमान में कार्यरत कर्मचारी भी इस योजना में शामिल हो सकते हैं, बशर्ते उन्हें पहले पी एफ का लाभ न मिला हो। वहीं, जो कर्मचारी पहले संस्था छोड़ चुके हैं, वे स्वतः इस योजना में शामिल नहीं होंगे, लेकिन अगर उनका पूर्व नियोक्ता उन्हें जोड़ने के लिए तैयार हो, तो वे भी पात्र होंगे। यह योजना पूरी तरह स्वैच्छिक है, यानी नियोक्ता और कर्मचारी दोनों की सहमति से नामांकन होगा। इ पी एफ ओ ने इस योजना की अवधि 1 नवंबर 2025 से 30 अप्रैल 2026 तक तय की है। यानी नियोक्ताओं को लगभग छह महीने का समय दिया गया है कि वे अपने कर्मचारियों का पी एफ में नामांकन कर सकें। यदि कोई प्रतिष्ठान इस अवधि में अपने कर्मचारियों को पी एफ में जोड़ लेता है, तो कर्मचारियों का पिछला पी एफ अंशदान माफ कर दिया जाएगा। नियोक्ता को केवल अपने हिस्से का योगदान देना होगा और ₹100 का नाममात्र जुर्माना भरना होगा।सरकार की यह स्कीम कर्मचारियों के लिए कई मायनों में लाभकारी है। सबसे बड़ा फायदा यह है कि वर्षों से पी एफ प्रणाली से बाहर रहे लाखों कर्मचारी अब इसमें शामिल होकर अपनी बचत को सुरक्षित कर सकते हैं। उन्हें पिछली अवधि के अंशदान या ब्याज का भुगतान नहीं करना होगा, जिससे उनका आर्थिक बोझ कम रहेगा। पी एफ एक दीर्घकालिक निवेश है, जो सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी को स्थायी आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा, पी एफ में शामिल होने पर कर्मचारी को तीन प्रमुख लाभ मिलते हैं —भविष्य निधि, पेंशन स्कीम और बीमा योजना। जरूरत पड़ने पर पी एफ से लोन या आंशिक निकासी (की सुविधा भी उपलब्ध है, जो आपात स्थिति में कर्मचारियों के लिए जीवनरेखा बनती है। भविष्य निधि ने नियोक्ताओं के लिए भी प्रक्रिया को बेहद सरल बना दिया है। उन्हें उन कर्मचारियों की पहचान करनी होगी जो 1 जुलाई 2017 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच कार्यरत रहे लेकिन पी एफ खाते में शामिल नहीं हुए। इसके बाद भविष्य निधि पोर्टल पर लॉगिन करके उनका नामांकन कराना होगा। नियोक्ता को अपने हिस्से का योगदान और ₹100 का जुर्माना जमा करना होगा। यदि नियोक्ता समय पर यह प्रक्रिया पूरी करते हैं, तो उन्हें किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई से छूट मिलेगी। इससे पुराने अनुपालन मामलों में राहत मिलेगी और भविष्य में जुर्माने या मुकदमे की आशंका भी खत्म होगी।इस योजना के पीछे सरकार का उद्देश्य केवल आर्थिक लाभ देना नहीं है, बल्कि देश के श्रम ढांचे को औपचारिक करना भी है। आज भी भारत में लगभग 80 प्रतिशत श्रमिक असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं, जिनके पास पेंशन, बीमा या भविष्य निधि जैसी सामाजिक सुरक्षा नहीं है। सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक कामगार पी एफ व्यवस्था से जुड़ें और औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनें। इससे न केवल श्रमिकों को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि देश की बचत दर में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी।आर्थिक दृष्टि से देखा जाए तो पी एफ जैसे दीर्घकालिक निवेश साधन में वृद्धि से पूंजी बाजार को स्थिरता मिलती है। जब कर्मचारियों की बचत बढ़ती है, तो देश में घरेलू निवेश दर भी बढ़ती है। इससे न केवल आर्थिक विकास दर को बल मिलता है, बल्कि उद्योगों और रोजगार के नए अवसर भी बनते हैं।हालांकि, योजना के कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। नियोक्ताओं को निर्धारित समयसीमा के भीतर नामांकन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी, यदि किसी नियोक्ता ने पहले गलत विवरण दिया था या जानबूझकर कर्मचारियों को पी एफ से बाहर रखा था, तो ऐसे मामलों की जांच की जा सकती है। भविष्य निधि ने साफ किया है कि यह योजना “सद्भावनापूर्ण अनुपालन” पर आधारित है, यानी जो नियोक्ता स्वेच्छा से जुड़ेंगे उन्हें राहत और छूट दी जाएगी।यह योजना न केवल कर्मचारियों के लिए लाभकारी है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा कदम है। जब बड़ी संख्या में श्रमिक सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क में शामिल होंगे, तो सरकार के “विकसित भारत 2047” के विजन को मजबूती मिलेगी। “कर्मचारी नामांकन योजना 2025 से लाखों कर्मचारियों को न केवल सामाजिक सुरक्षा मिलेगी बल्कि उनके भविष्य के लिए एक स्थायी आर्थिक ढांचा भी तैयार होगा। यह उन कर्मचारियों के लिए ‘दूसरा मौका’ है जो अब तक पी एफ प्रणाली से बाहर रहे — बिना किसी पुराने बकाये या ब्याज के, वे फिर से भविष्य निधि की सुरक्षा में शामिल हो सकते हैं। अगर आप भी 1 जुलाई 2017 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच किसी कंपनी में कार्यरत रहे हैं और आपका पी एफ खाता अब तक नहीं बना, तो यह आपके लिए सुनहरा अवसर है। समय रहते नामांकन करें।