भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
भारतीय और वैश्विक व्यापार जगत के लिए यह सप्ताह गहन शोक का क्षण लेकर आया। हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन और भारतीय मूल के ब्रिटिश अरबपति गोपीचंद हिंदुजा का लंदन में 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे न केवल दुनिया के सबसे अमीर भारतीयों में से एक थे, बल्कि ऐसे उद्योगपति भी थे जो “नैतिकता और मूल्य-आधारित व्यवसाय” को सफलता की असली पहचान मानते थे। उनके निधन के साथ भारत के आर्थिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया। गोपीचंद हिंदुजा हिंदुजा भाइयों में दूसरे नंबर पर थे। हिंदुजा परिवार ने इस बहुराष्ट्रीय समूह को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके पिता परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने 1914 में व्यापार की नींव रखी थी। आज हिंदुजा ग्रुप की उपस्थिति 38 से अधिक देशों में है और इसके अधीन लगभग दो लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। समूह के प्रमुख उद्योगों में अशोक लीलैंड, इंडसइंड बैंक, गल्फ ऑयल, हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस, हिंदुजा वेंचर्स और एनएक्सटीडिजिटल शामिल हैं।गोपीचंद हिंदुजा ने इस समूह को केवल व्यावसायिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी के साथ जोड़ा। वे अक्सर कहा करते थे – “धन तभी सार्थक है जब वह समाज की बेहतरी के लिए काम करे।”उनका नाम उस पीढ़ी के उद्योगपतियों में शामिल है, जिन्होंने भारतीय पूंजी को पश्चिमी उद्यम मॉडल से जोड़ने का साहस दिखाया। वे न केवल समूह के वित्तीय रणनीतिकार थे, बल्कि एक कुशल संगठन निर्माता भी थे। लंदन स्थित मुख्यालय से उन्होंने समूह के वैश्विक संचालन का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में हिंदुजा ग्रुप ने यूरोप, अमेरिका और एशिया में अपनी मजबूत पहचान बनाई।वे हमेशा अपने कर्मचारियों से कहा करते थे – “व्यवसाय का मूल उद्देश्य इंसान हैं, न कि केवल शेयर या मुनाफा।” यही विचार हिंदुजा ग्रुप की कार्यसंस्कृति में गहराई तक समाया हुआ है।हालाँकि उनका जीवन का अधिकांश हिस्सा लंदन में बीता, परंतु भारत उनके दिल में हमेशा बसा रहा। वे कहा करते थे – “हिंदुजा ग्रुप की आत्मा भारत में है, चाहे कारोबार कहीं भी हो।” उन्होंने भारतीय परंपरा, योग, अध्यात्म और संस्कृति को पश्चिमी समाज में प्रतिष्ठित करने में अहम भूमिका निभाई। उनके प्रयासों से ब्रिटेन में भारतीय प्रवासी समुदाय को नई पहचान और सम्मान मिला।भारत में उनके नेतृत्व में हिंदुजा फाउंडेशन ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। मुंबई स्थित हिंदुजा हॉस्पिटल आज उनके सामाजिक योगदान का जीवंत उदाहरण है। उनके नेतृत्व में हिंदुजा फाउंडेशन ने हजारों लोगों के जीवन को नई दिशा दी — शिक्षा, ग्रामीण विकास, पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्रों में इस संस्था का कार्य सराहनीय रहा।वे कहा करते थे – “व्यवसाय में सबसे बड़ा निवेश मानवता है, जो किसी भी मुनाफ़े से बड़ा लाभ देती है।” इसी सोच के तहत हिंदुजा परिवार ने अपने व्यापार को केवल आर्थिक समृद्धि तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे सामाजिक सुधार का माध्यम बनाया।ब्रिटेन में गोपीचंद हिंदुजा भारतीय समुदाय के सबसे सम्मानित व्यक्तियों में से एक थे। उन्हें वहाँ “ग्लोबल इंडियन टाइकून” के रूप में जाना जाता था। ब्रिटिश समाज और सरकार के उच्च वर्ग में उनकी गहरी पैठ थी।द संडे टाइम्स रिच लिस्ट 2025 के अनुसार, हिंदुजा परिवार ब्रिटेन का सबसे अमीर परिवार बना, जिसकी संपत्ति का अनुमान 40 अरब पाउंड से अधिक था। यह केवल संपत्ति की नहीं, बल्कि भारत की साख और परिश्रम की पहचान थी।गोपीचंद हिंदुजा ने कहा था – “हम ब्रिटेन में रहते हैं, पर हमारी जड़ें भारत की मिट्टी में हैं। हमारी सफलता भारतीयता की मिसाल है।”हिंदुजा परिवार के चार भाइयों — एस. पी. हिंदुजा, गोपीचंद हिंदुजा, पी. पी. हिंदुजा और अशोक हिंदुजा — ने समूह को अपनी-अपनी दिशा में सशक्त बनाया। गोपीचंद हिंदुजा वित्तीय और रणनीतिक नीति निर्धारण के प्रमुख स्तंभ थे।हाल के वर्षों में परिवार में संपत्ति को लेकर कानूनी विवादों की खबरें आईं, लेकिन गोपीचंद ने हमेशा भाईचारे, एकजुटता और पारिवारिक सम्मान को सर्वोपरि रखा। उनके लिए “धन” से अधिक महत्व “परिवार की स्थिरता और एकता” का था।उनकी आर्थिक दृष्टि ने भारत में कई क्षेत्रों को नई दिशा दी। उनके मार्गदर्शन में इंडसइंड बैंक एक सशक्त निजी वित्तीय संस्था के रूप में उभरा। वहीं अशोक लीलैंड ने भारत के परिवहन क्षेत्र को आधुनिक स्वरूप दिया। उन्होंने सदैव नवाचार, प्रौद्योगिकी और समयानुकूल दृष्टिकोण पर बल दिया।उनका मानना था – “अगर आप समय के साथ नहीं चलते, तो समय आपको पीछे छोड़ देता है।”गोपीचंद हिंदुजा की सबसे बड़ी ताकत थी उनकी सादगी, अनुशासन और मानवीय दृष्टि। वे समय के बेहद पाबंद, स्पष्ट सोच वाले और हर कर्मचारी से व्यक्तिगत संबंध रखने वाले व्यक्ति थे। वे हर व्यक्ति का नाम याद रखते थे — चाहे वह वरिष्ठ प्रबंधक हो या कार्यालय का कर्मचारी। यही गुण उन्हें केवल एक बॉस नहीं, बल्कि “प्रेरक नेता” बनाता था।भारत और ब्रिटेन दोनों देशों के नेताओं, उद्योगपतियों और समाजसेवियों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने श्रद्धांजलि संदेश में कहा – “गोपीचंद हिंदुजा ने भारतीय उद्योग को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई। उनकी दृष्टि और मानवीय सोच आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।”गोपीचंद हिंदुजा का जीवन भारतीय उद्यमशीलता, सामाजिक दायित्व और मानवतावादी मूल्यों का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने यह साबित किया कि वैश्विक सफलता भी भारतीयता की जड़ों से उपज सकती है।उनकी विरासत आने वाले वर्षों तक प्रेरणा देती रहेगी —“व्यवसाय केवल लाभ का साधन नहीं, बल्कि समाज में परिवर्तन लाने का माध्यम होना चाहिए।”उनके निधन से उद्योग जगत को अपूरणीय क्षति पहुँची है, परंतु उनके विचार, सिद्धांत और योगदान सदा जीवित रहेंगे। हिंदुजा ग्रुप आज जिस ऊँचाई पर है, वह उनकी दृष्टि, परिश्रम और मूल्यों की सशक्त मिसाल है।