दिल्ली में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर रविवार को कई सामाजिक संगठनों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन इंडिया गेट और जंतर मंतर इलाके में आयोजित किए गए, जहां लोगों ने “सांस लेने का अधिकार” और “क्लीन एयर फॉर ऑल” जैसे नारे लगाते हुए सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की। हालांकि, पुलिस ने बिना अनुमति प्रदर्शन करने के आरोप में कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि दिल्ली की हवा ‘गैस चेंबर’ में तब्दील हो चुकी है और सरकार के पास न तो कोई स्पष्ट नीति है और न ही कोई ठोस कार्ययोजना। कई प्रदर्शनकारियों ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें आपसी आरोप-प्रत्यारोप में उलझी हैं जबकि आम जनता प्रदूषण की मार झेल रही है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हर साल नवंबर आते ही दिल्ली दम तोड़ने लगती है। बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, बुजुर्ग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे, लेकिन सरकार केवल बयानबाज़ी में लगी है।”
इस दौरान सोशल मीडिया पर भी #RightToBreathe और #DelhiPollutionCrisis जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लोगों ने सरकार पर डेटा छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वास्तविक AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) को जनता से छिपाया जा रहा है ताकि स्थिति की गंभीरता उजागर न हो।
विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मुख्य कारणों में पराली जलाना, वाहन उत्सर्जन, निर्माण कार्यों से धूल, औद्योगिक धुआं और ठंडी हवाओं के कारण हवा का ठहराव शामिल है। पिछले एक सप्ताह से कई इलाकों में AQI 450 से ऊपर दर्ज किया गया है, जो ‘गंभीर श्रेणी’ में आता है।
दिल्ली सरकार ने हालांकि कुछ इलाकों में स्कूल बंद करने, निर्माण कार्य रोकने और ऑड-ईवन योजना लागू करने पर विचार किया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ये केवल अस्थायी उपाय हैं। जब तक क्षेत्रीय स्तर पर समन्वय नहीं होगा, स्थिति में सुधार मुश्किल है।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि आने वाले दिनों में कोई ठोस नीति नहीं बनी, तो वे व्यापक जन आंदोलन शुरू करेंगे।