बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण से पहले राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है। आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने रविवार को प्रशासनिक अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ अधिकारी सत्ताधारी दल को मदद पहुंचाने के लिए “स्क्रीनशॉट भेज रहे हैं” और चुनावी निष्पक्षता से समझौता कर रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने यह बयान पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें कई जिलों से ऐसी शिकायतें मिली हैं कि मतदान से पहले मतदान केंद्रों और बूथ स्तर के आंकड़े राजनीतिक दबाव में साझा किए जा रहे हैं। तेजस्वी ने सीधे तौर पर चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मांग की कि ऐसे अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए और मतदान प्रक्रिया की निगरानी केन्द्रीय बलों से कराई जाए।
आरजेडी नेता ने कहा, “अगर अधिकारी निष्पक्ष नहीं रहेंगे, तो लोकतंत्र कैसे बचेगा? जनता का वोट पवित्र अधिकार है, और कोई भी इसे प्रभावित नहीं कर सकता। लेकिन बिहार में ऐसा लग रहा है जैसे सत्ता पक्ष को हर स्तर से मदद मिल रही है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि कई जिलों में वोटिंग मशीनों की सुरक्षा और ट्रांसपोर्टेशन प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे हैं।
दूसरे चरण की वोटिंग 11 नवंबर को होनी है, जिसमें 17 जिलों की 94 सीटों पर मतदान होगा। इससे पहले पहले चरण में रिकॉर्ड मतदान दर्ज किया गया था, जिससे विपक्ष के उत्साह में बढ़ोतरी हुई है। आरजेडी अब इस चरण को निर्णायक मान रही है।
जवाब में सत्तारूढ़ जेडीयू और बीजेपी ने तेजस्वी के आरोपों को “राजनीतिक स्टंट” बताया। जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि जब जनता का समर्थन नहीं मिलता, तब विपक्ष प्रशासन पर झूठे आरोप लगाकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश करता है। वहीं, चुनाव आयोग ने कहा कि सभी आरोपों की जांच की जाएगी और किसी भी गड़बड़ी पर सख्त कार्रवाई होगी।
तेजस्वी यादव ने चेतावनी दी कि अगर निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित नहीं किए गए, तो वह जनता के साथ सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।