रूस-यूक्रेन युद्ध एक बार फिर भयावह मोड़ पर पहुंच गया है। रविवार रात रूस ने यूक्रेन के कई प्रमुख शहरों पर मिसाइल और ड्रोन से भीषण हमला किया, जिसमें सैन्य प्रतिष्ठान, ऊर्जा संयंत्र और परमाणु ठिकाने निशाने पर रहे। इस हमले को अब तक के सबसे व्यापक और समन्वित हमलों में से एक बताया जा रहा है। यूक्रेनी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हमलों में कई लोग घायल हुए हैं जबकि कुछ की मौत की पुष्टि भी हुई है।
यूक्रेन के रक्षामंत्रालय ने जानकारी दी कि रूस ने करीब 400 से अधिक ड्रोन और 50 क्रूज़ मिसाइलें दागीं। इनमें से अधिकांश को यूक्रेन की वायुसेना ने बीच में ही मार गिराया, लेकिन कई मिसाइलें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल रहीं, जिससे राजधानी कीव, खार्किव, ल्विव और ड्निप्रो में भारी तबाही मची। कीव के बाहरी इलाकों में एक परमाणु अनुसंधान केंद्र को भी आंशिक नुकसान पहुंचने की खबर है।
हमले के तुरंत बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने रूस को “युद्ध अपराधी राष्ट्र” करार देते हुए कहा कि यह हमला यूक्रेन की ऊर्जा और रक्षा व्यवस्था को पंगु बनाने की साजिश है। उन्होंने नाटो और पश्चिमी देशों से और अधिक उन्नत हथियार प्रणाली तथा हवाई सुरक्षा कवच उपलब्ध कराने की अपील की। जेलेंस्की ने यह भी कहा कि रूस अब केवल सीमित क्षेत्रों पर नहीं, बल्कि पूरे यूक्रेन को अंधेरे और भय में डुबोना चाहता है।
दूसरी ओर, रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि यह हमला “यूक्रेनी सैन्य ढांचे को कमजोर करने और पश्चिमी हथियारों के भंडारण को नष्ट करने” के उद्देश्य से किया गया था। रूस का कहना है कि उसने केवल “रणनीतिक ठिकानों” को ही निशाना बनाया और नागरिक इलाकों को नुकसान से बचाने की कोशिश की।
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने बयान जारी कर कहा कि ऐसे हमले अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हैं और इससे विश्व शांति को गंभीर खतरा है। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भी रूस पर और अधिक प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है।
यूक्रेन के कई हिस्सों में बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है और लोग बंकरों में शरण ले रहे हैं। स्कूल और अस्पताल अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं। राजधानी कीव में एयर सायरन लगातार बज रहे हैं और लोग भय के साए में जी रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों के मौसम से पहले रूस का यह हमला यूक्रेन की ऊर्जा सुरक्षा को पूरी तरह ध्वस्त करने की रणनीति का हिस्सा है। आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं, क्योंकि दोनों देशों के बीच शांति वार्ता की कोई संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही है।